आधुनिक भारत का इतिहास – Modern Indian History विश्व के सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यताओं में से एक का हिस्सा है, जो भारतीय सभ्यता और समृद्धि की यात्रा को दर्शाता है। आधुनिक भारत का इतिहास का आरंभ औरंगजेब के मृत्यु के बाद माना जाता है । इसे भारत के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक विकास की यात्रा के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें हजारों वर्षों के इतिहास में अनगिनत घटनाएं और व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं।
- ब्रिटिश साम्राज्य का आगमन: आधुनिक भारत का इतिहास 17वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य के आगमन के साथ आरंभ होता है। ब्रिटिशों का भारत पर कब्जा और उनका शासन भारतीय समाज को प्रभावित किया।
- स्वतंत्रता संग्राम: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 से लेकर 1947 तक की जाती है, जिसमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, और सरदार पटेल जैसे नेता अहम भूमिका निभाए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने ब्रिटिशों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया।
- स्वतंत्रता और विभाजन: 1947 में भारत स्वतंत्रता प्राप्त करके एक स्वतंत्र गणराज्य की स्थापना की, लेकिन इसके साथ ही भारत का विभाजन भी हुआ और पाकिस्तान का निर्माण हुआ।
- नेहरूवाद और आधुनिकीकरण: नेहरूवाद के अंतर्गत भारत ने आधुनिकीकरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास, और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए।
यह कुछ महत्वपूर्ण कालों का संक्षिप्त परिचय है जो आधुनिक भारत के इतिहास का हिस्सा हैं। हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धाओं की संघर्ष और समृद्धि की यात्रा को समझने में मदद करता है, और हमें हमारे विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
आधुनिक भारत के सारे महत्वपूर्ण घटनाओं को विस्तृत रूप में जानने के लिए नीचे दिए गए PDF डाउनलोड करें
यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन (Arrival of European companies in India)
15वीं और 16वीं सदी में, यूरोपीय देशों के राजा और व्यापारी भारत के साथ व्यापार और संबंध बढ़ाने के लिए इच्छुक थे। इस प्रयास के परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य का शासन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जन्म हुई।
पुर्तगाली, डच, ब्रिटिश, फ्रांसीसी इन सभी यूरोपीय व्यापारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए PDF डाउनलोड करें
बंगाल के नवाब और अंग्रेज (Nawab of Bengal and the British)
18वीं सदी के मध्य में, बंगाल के नवाब और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल में प्राबद्धिका (framework) शासन स्थापित हुआ। बंगाल के नवाब और ब्रिटिश कंपनी के बीच की घटनाओं ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को चिन्हित किया और ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखी। यह भी एक प्रारंभिक पड़ाव था जो ब्रिटिश साम्राज्य के निर्माण की ओर बढ़ा।
ब्रिटिश कंपनी और बंगाल के नवाब की घटनाओं को विस्तृत रूप से पढ़ने के लिए PDF डाउनलोड करें
आंग्ल-मैसूर संबंध (Anglo-Mysore relations)
Anglo-Mysore relations आंग्ल-मैसूर संबंध भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण टॉपिक हैं यह 18वीं और 19वीं सदी के बीच मुख्य रूप से हुआ । इन संबंधों में मैसूर सुलतान टिपू सुल्तान और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच आक्रमण, संघर्ष, और समझौते की घटनाएँ शामिल थीं।
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सिख धर्म, सिखों का अंग्रेजों से संबंध (Sikhism, Sikh relations with the British)
सिख धर्म का आरंभ 15वीं सदी में गुरु नानक देव जी के द्वारा हुआ था। सिख धर्म की मुख्य बातें एक ईकोंकार दोगुण गुरु (वाहेगुरू) में मानना, सेवा, संगत, और पंथ के महत्व को बताती हैं। सिख समुदाय के और आंग्रेजों के संबंध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण थे , सिख समुदाय ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उनकी भूमिका और योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण हैं।
Sikhism, सिखों का इतिहास, सिखों के गुरुओं, सिखों का अंग्रेजों से संबंध आदि के बारे में विशेष जानकारी के लिए PDF डाउनलोड करें
भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय (Governor General and Viceroy of India)
ब्रिटिश साम्राज्य के शासनकाल में, भारत के गवर्नर-जनरल उस समय के शासक के प्रति साम्राज्य का प्रतिनिधित्व करते थे। वायसराय भारत के विभिन्न प्रांतों में नियुक्त होते थे और वे गवर्नर-जनरल के नेतृत्व में आते थे। वायसराय की प्रमुख जिम्मेदारी थी उनके क्षेत्र में साम्राज्य के शासन को सुनिश्चित करना, स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारियों को संभालना, और भारतीय साम्राज्य के नैतिक और आर्थिक प्रस्तावना को साम्राज्य के प्रतिनिधित्व के रूप में स्थापित करना था।
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ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जनजाति आंदोलन (Tribal movement against British rule)
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जनजाति आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। इसका मुख्य उद्देश्य था जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा करना और ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार और उनकी दुर्व्यवहार के खिलाफ विरोध करना।
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1857 की क्रांति (Revolution of 1857)
1857 की क्रांति, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली अक्षरदात्री घटना के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटना थी। यह घटना 1857 से 1858 तक भारतीय सुप्रेमसी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक गुप्त संघर्ष का नतीजा था।
Revolution of 1857 के सारे महत्वपूर्ण घटनाओं को विस्तृत रूप में जानने के लिए PDF डाउनलोड करें
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (Indian National Movement)
Indian National Movement भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुआ एक ब्रह्मास्त्रीय आंदोलन था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती से पूरा किया। इस आंदोलन का आरंभ 1857 की क्रांति के बाद हुआ और आजाद भारत की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण था। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन के साथ हुई।
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भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रथम चरण – Indian National Movement (First Phase)
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का प्रथम चरण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभिक चरण था जो 1857 से 1909 तक चला। इस चरण में भारतीय जनता ने अपनी आवश्यकताओं और अधिकारों के लिए सशक्तिकरण की दिशा में कई आंदोलनों का संचालन किया।
इस घटना के महत्वपूर्ण तथ्यों को जानने के लिए PDF डाउनलोड करें
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का द्वितीय चरण – Indian National Movement (Second Phase)
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का द्वितीय चरण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण दौर को प्रतिनिधित करता है, जो 1909 से 1919 तक चला। इस चरण में भारतीय जनता ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अधिक जोश और उत्साह के साथ स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का संचालन किया।
1909 से 1919 तक चला भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का द्वितीय चरण के सारे घटनाओं को विस्तार से जानने के लिए PDF डाउनलोड करें
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का तृतीय चरण – Indian National Movement (Phase III)
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का तृतीय चरण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम और महत्वपूर्ण दौर को प्रतिनिधित करता है, जो 1919 से 1947 तक चला। इस चरण में भारतीय जनता ने अंग्रेज साम्राज्य के खिलाफ आंदोलनों की अग्रगामी भूमिका निभाई और भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों का सुझाव दिया।
ख़िलाफ़त आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, काकोरी काण्ड, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का तृतीय चरण के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य को जानने के लिए PDF डाउनलोड करें
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख वचन और नारो की सूची (List of major words and slogans of the Indian independence movement)
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, कई प्रमुख नेता और वीर योद्धा नारे और उत्साह भरे वचनों का प्रयोग करके भारतीय जनता को प्रेरित किया और एकजुट किया। ये नारे और वचन आंदोलन की भावना और महत्व को सार्थक ढंग से व्यक्त करते थे।
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राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन अवधि में बनी महत्वपूर्ण संस्थाएं (Important institutions formed during the period of national independence movement)
राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की अवधि में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को संगठित और प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण संस्थाएं बनीं। इन संस्थाओं ने स्वतंत्रता संग्राम को संगठित किया, लोगों को जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया।
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राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएँ (Important events of national movement)
दोस्तों इस पोस्ट में हमनें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की महत्त्वपूर्ण घटनाएं और उनके समय काल को दर्शाया है।
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स्वतंत्रता सेनानी (Freedom fighter)
स्वतंत्रता सेनानी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदिकाल से ही शांतिपूर्ण और हिंसा की रूप में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले व्यक्तियों को कहा जाता है। ये वीर आत्माओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ा और अपने जीवन की कई आशाएं और सामाजिक सुधार के लिए बलिदान दिया।
मंगल पांडे, राणी लक्ष्मी बाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को पढ़ने के लिए PDF डाउनलोड करे
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन (Indian National Congress session)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना था जिसका उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के नेताओं और सदस्यों को एक साथ आने के लिए और स्वतंत्रता संग्राम की दिशा तय करने के लिए था। सबसे महत्वपूर्ण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में से एक 1885 में बोम्बे (मुंबई) में हुआ था, जिसमें आदर्श स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की गई थी और आने वाले वर्षों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी गई थी।
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सामाजिक सुधार अधिनियम (Social reform act)
“सामाजिक सुधार अधिनियम” का मतलब भारतीय इतिहास में कई सामाजिक सुधारों को लेकर पास किए गए क़ानूनों से है। ये क़ानून भारतीय समाज को सुधारने और समाज में सामाजिक न्याय की प्रोत्साहन के उद्देश्य से बनाए गए थे।
सती प्रथा अधिनियम, विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, हिन्दू विवाह अधिनियम इस तरह के और भी ACT की जनकारी के लिए PDF डाउनलोड करे
उपाधि,प्राप्तक्रता एवं दाता (Title, Recipient and Donor)
दोस्तों इस पोस्ट में हमनें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं की उपाधि , प्राप्तक्रता एवं दाता के बारे में विवरण दिया है।
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प्रमुख सामाजिक/धार्मिक संस्थाएं – Major social/religious institutions
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत में कई प्रमुख सामाजिक और धार्मिक संस्थाएँ हुए, जो समाज के विभिन्न पहलुओं, धार्मिक अनुष्ठानों, और सेवा क्षेत्रों में काम किया।
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स्वाधीनता संग्राम काल की कुछ प्रमुख कृतियाँ (Major books and their authors of the freedom struggle period)
दोस्तों इस पोस्ट में हमनें स्वाधीनता संग्राम काल की प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक के बारे में विवरण दिया है।
स्वाधीनता संग्राम काल की प्रमुख पुस्तक और उनके लेखक के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए PDF डाउनलोड करे
भारत में प्रेस का विकास (Development of press in India)
भारत में प्रेस का विकास एक महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जिसने देश की इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रेस का विकास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, समाजिक परिवर्तन, और विकास की प्रक्रिया को प्रकट करता है।
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ब्रिटिश काल के कानून तथा अधिनियम – British Era Laws and Acts
ब्रिटिश काल के कानून और अधिनियम (British Colonial Laws and Regulations) भारत के अंग्रेजी साम्राज्य के समय के कानून और नियमों को सूचित करते हैं, जो भारतीय सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक जीवन पर प्रभाव डाले। ये कानून और अधिनियम भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के आधीन रहते हुए बनाए गए थे और इस समय की संघर्षपूर्ण इतिहास का हिस्सा रहे।
पिट्स इंडिया एक्ट 1784, 1813 ई. का चार्टर अधिनियम, चार्टर एक्ट 1833 अन्य सभी ACT को पढ़ने के लिए PDF डाउनलोड करे
ब्रिटिशकालीन प्रमुख आयोग – British major commission
ब्रिटिश कालीन प्रमुख आयोग (Major Commissions during British Rule) भारतीय सब-कंटिनेंट के अंग्रेजी साम्राज्य के दौरान भारतीय राज्यों के प्रशासन और विकास के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण प्राधिकृतिक और नीति आयोग थे। इन आयोगों का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के साम्राज्यिक आदर्शों को प्रमोट करना और उनके राज्यों में सशक्त प्रशासन तंत्र की स्थापना करना था।
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भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध कब और किसके बीच – When and between whom the major battles of Indian history
दोस्तों इस पोस्ट में हमनें भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध, कब और किसके बीच में हुई इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारियां दी है।
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